किनारे तक पहुच जाने की हिम्मत तोड़ देता है
हवा का एक झोका नाव का रुख मोड़ देता है
कोई अंदाज़ा कोई ज्ज़बिया होता है ऐसा भी
कहानी से हकीकत का जो रिश्ता जोड़ देता है
फिजा चाहे तो एक जरा भी है क़यामत को
जरा से एक कंकन फील का रुख मोड़ देता है
मिजाज़ उसका कोई समझे तो आखिर किस तरह समझे
कही दिल तोड़ देत्देता है कभी दिल जोड़ देता है
नज़र मे उसकी तख्तो ताज क्या लालो जवाहर क्या
मोहबात जिसको मिलती है वो सब कुछ छोड़ देता है
No comments:
Post a Comment